मंत्र जपते हैं तो रहें सावधान, जानिए मंत्र से जुड़ा सबसे बड़ा रहस्य ! डॉ पुनीत चावला

चाहे वो काम हो या पूजा, अधूरा ज्ञान हमेशा घातक साबित होता है। वैसे ही अगर आप बिना जानकारी और बिना नियम के कोई भी मंत्र जपते हैं तो हो जाएं सावधान। क्योंकि गलत विधि से किया गया मंत्र जाप आपको फायदे ही जगह नुकसान पहुंचा सकता है। आपको पैसों की जगह कंगाली दे सकता है। आपको सुख की जगह दुख दे सकता है। इसीलिए मंत्र जाप करें लेकिन जरा संभलकर। क्या है मंत्र जाप से जुड़ी 10 खास बातें….आइए जानते हैं….

  • मंत्र जाप से एकाग्रता बढ़ती है, ह्रदय स्वस्थ रहता है, डिप्रेशन दूर होता है, चेहरे की चमक बढ़ जाती है लेकिन धीरे-धीरे बोलकर मंत्र जाप करना हानिकारक होता है। मानसिक जाप आप कर सकते हैं लेकिन धीरे-धीरे मंत्र जाप ना करें। सही आवाज और ऊर्जा के साथ मंत्र जाप करें।
  • मंत्र में जरूरत से ज्यादा जोर देकर शब्दों का उच्चारण करने से पूरे मंत्र का प्रभाव ही खत्म हो जाता है। गलत उच्चारण से हमारे शरीर का आभामंडल यानि ऑरा और घर का माहौल खराब हो जाता है।
  • मंत्र जाप के समय बार-बार हिलना, बोलना और क्रोध करना बुरा प्रभाव डालता है। मंत्र जाप करते समय आपका मन शांत रहना चाहिए।
  • सुबह हाथ को नाभि के पास रखकर मंत्र जाप करना चाहिए, दोपहर में ह्रदय के पास हाथ रखकर मंत्र जाप करना चाहिए और शाम को चेहरे के सामने हाथ रखकर मंत्र जाप करना चाहिए।
  • गायत्री मंत्र सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक जप कर सकते हैं।
  • शनि मंत्र दोपहर के बाद और सूर्यास्त से पहले जपें। राहु-केतु के मंत्र दोपहर के समय ही जपें।
  • देवियों के मंत्र सूर्यास्त के बाद ही जपें लेकिन कात्यायनी मंत्र सूर्योदय के समय और सूर्यास्त के समय जपें।
  • भगवान शिव के मंत्र पूरे दिन में कभी भी जप सकते हैं।
  • भगवान शिव और बृहस्पति का मंत्र उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही जपना चाहिए।
  • लक्ष्मी मंत्र, कुबेर मंत्र, केतु मंत्र, बुध मंत्र उत्तर दिशा की ओर मुख करके जपना चाहिए।
  • सूर्य मंत्र पूर्व दिशा की ओर मुख करके जपना चाहिए। चंद्र मंत्र उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके जपना चाहिए। मंगल मंत्र दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जपना चाहिए। शनि मंत्र पश्चिम दिशा की ओर मुख करके जपना चाहिए।

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