महाशिवरात्रि पर कईं गुना फल देता है ‘शिव तांडव स्त्रोत’ !

shiv tandav

1- शक्तिशाली है ‘शिव तांडव स्त्रोत’, महाशिवरात्रि पर बरसेगी कृपा !

भगवान शिव के प्रिय पाठों में से एक पाठ ऐसा है जो हर संकट से आपकी रक्षा कर सकता है और वो है चमत्कारी ‘शिव तांडव स्त्रोत’। महाशिवरात्रि पर ‘शिव तांडव स्त्रोत’ को पढ़ने का सही समय, सही विधि और इससे जुड़ी सावधानियां क्या हैं जिससे आपको महाशिवरात्रि पर महादेव की असीम कृपा मिले, आइए जानते हैं….

2. शिव तांडव स्त्रोत का महत्व

  • शिव तांडव स्त्रोत भोलेनाथ के परम भक्त विद्वान् रावण द्वारा रचित एक स्त्रोत है।
  • यह स्तुति छन्दात्मक है और इसमें बहुत सारे अलंकार हैं।
  • माना जाता है कि रावण जब कैलाश पर्वत को उठाना चाहता था, तब शिव जी ने अपने पैर के अंगूठे से जोर-जोर से हिलते हुए कैलाश पर्वत को स्थिर रखने के लिए उसे अपने पैर के अंगूठे से दबाया…रावण के दोनों हाथ कैलाश पर्वत के नीचे थे और वो भी शिव जी के दबाव से दब गए।
    भयंकर पीड़ा से पीड़ित रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तब शिव तांडव स्तोत्र की रचना की। रावण की कठोर भक्ति और साधना को देखते हुए भोले भंडारी भगवान शिव ने रावण को यातना से मुक्त किया।

3. महाशिवरात्रि पर कईं गुना फल देता है ‘शिव तांडव स्त्रोत’ !

  • महाशिवरात्रि पर शिव तांडव स्त्रोत के नियमित पाठ से वाणी सिद्धि की भी प्राप्ति होती है।
  • महाशिवरात्रि पर शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से कला के क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी बहुत लाभ मिलता है।
  • शिव महाकाल हैं, ऐसे में शनि से पीड़ित व्यक्ति को महाशिवरात्रि पर इसके पाठ से बहुत लाभ मिलता है।
  • घर में किसी भी तरह का दोष हो तो सुबह-शाम शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
  • रावण कृत शिव तांडव स्तोत्र का नियमित पाठ आपको पैसों से संपन्न और शक्तिशाली बना सकता है।

4. शिव तांडव स्त्रोत’ को पढ़ने की सही विधि और नियम, जानिए यहां…

  • सबसे पहले शिवलिंग या शिव प्रतिमा को प्रणाम करें, कच्चे दूध और जल से अभिषेक करें
  • शिवलिंग को धूप-दीप, सफेद फूल और नैवेद्य अर्पित करें, ध्यान रहे कि केतकी का फूल भूलकर भी ना चढ़ाएं।
  • भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के बाद शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करें
  • स्त्रोत का पाठ करते समय बीच में ना बोलें, ना ही किसी की बात का जवाब दें
  • पाठ करते समय आचरण और विचारों की शुद्धता रखें
  • पाठ करते वक्त शुद्ध, साफ, धुले हुए कपड़े पहनें
  • इस स्त्रोत का पाठ करते समय उच्चारण की शुद्धता रखें
  • धीरे-धीरे आराम से पढ़ें लेकिन पढ़ने में कोई गलती ना करें
  • अगर शिव तांडव स्त्रोत पढ़ने में असमर्थ है तो इसको सुन भी सकते हैं।

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